स्टोन क्रेशर की हड़ताल का बाजार पर बड़ा असर

गिट्टी, चूरी की सप्लाई बंद हुई तो सीमेंट, सरिया, बालू रेती की बिक्री भी रुक गई

भोपाल। स्टोन क्रेशर के संचालकों द्वारा की गई हड़ताल का बाजार पर बड़ा असर पडऩे लगा है। इस हड़ताल के कारण बाजार में गिट्टी और चूरी की सप्लाई बंद हो गई है। इसके परिणामस्वरूप अब बाजार में सीमेंट, सरिया और बालू रेती का धंधा भी रुक गया है।
द स्टोन क्रेशर आनर्स एसोसिएशन के आह्वान पर प्रदेश के 2000 से ज्यादा स्टोन क्रेशर संचालकों द्वारा हड़ताल कर दी गई है। यह हड़ताल उनकी मांगों को सरकार द्वारा स्वीकार नहीं किए जाने के कारण की गई है।  भोपाल, इंदौर और उसके आसपास के क्षेत्र में आज हड़ताल दसवें दिन में प्रवेश कर गई। इसके साथ ही शेष बचे हुए प्रदेश में भी कल से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू हो गई है। इस हड़ताल में ग्वालियर के 2 जोन में से एक जोन में मंगलवार से हड़ताल शुरू हो गई है, जबकि दूसरे जोन में आज से हड़ताल शुरू होगी। पूरे प्रदेश में तो यह हड़ताल कल से ही शुरू हुई है, लेकिन भोपाल, इंदौर क्षेत्र में जहां यह हड़ताल दूसरे हफ्ते में प्रवेश कर गई है, वहां पर हड़ताल का व्यापक प्रभाव नजर आ रहा है।  इस हड़ताल के कारण अधोसंरचना विकास के कार्य रुक गए हैं। बिल्डर, कॉलोनाइजर द्वारा किए जा रहे निर्माण पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है। स्टोन क्रेशर की हड़ताल के कारण बाजार में गिट्टी और चूरी के सप्लाई बंद हो गई है। किसी भी निर्माण कार्य को आकार देने के लिए सीमेंट, सरिया, बालू रेती के साथ में गिट्टी और चूरी भी जरूरी होती है। अब जब बाजार में गिट्टी और चूरी उपलब्ध नहीं है तो ऐसे में सीमेंट, सरिया और बालू रेती के कारोबार पर भी बुरा असर पड़ा है। इन वस्तुओं के कारोबार में अचानक मंदी की स्थिति बन गई है।  द स्टोन क्रेशर आनर्स एसोसिएशन के मध्यप्रदेश के उपाध्यक्ष हरित पाल होरा ने बताया कि इस समय सीमेंट और सरिया का कारोबार सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। इस कारोबार में लगे कारोबारी अब स्टोन क्रेशर संचालकों से संवाद करके यह जानना चाहते हैं कि उनकी हड़ताल कितनी लंबी चलेगी। इससे इन कारोबारियों को इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि उनके कारोबार में कितने दिन तक मंदी रहेगी।

मुख्यमंत्री से मुलाकात के इंतजार में स्टोन क्रेशर संचालक
अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे स्टोन क्रेशर संचालक प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात के इंतजार में हैं। मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में मंत्रियों को दिए गए विभाग में खनिज विभाग मुख्यमंत्री के ही पास में है। ऐसे में स्टोन क्रेशर संचालकों को उम्मीद है कि यदि मुख्यमंत्री के साथ उनकी मीटिंग हो जाती है तो उनकी बहुत सारी समस्याओं का त्वरित रूप से समाधान हो सकेगा। संगठन के प्रदेश के महामंत्री आलोक गोस्वामी और अन्य पदाधिकारी चाहते हैं कि जल्द से जल्द मुख्यमंत्री के साथ बैठक हो।

प्रमुख सचिव के साथ चर्चा का नहीं निकला कोई परिणाम
आंदोलन कर रहे स्टोन क्रेशर संचालकों के एक प्रतिनिधिमंडल की खनिज विभाग के प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव के साथ बैठक हो चुकी है। इस बैठक में इन संचालकों द्वारा अपनी समस्याओं को सरकार के सामने रखा गया। इन संचालकों की बात को तो प्रमुख सचिव ने ध्यान से सुना, लेकिन उनका समाधान करने की दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी है।