स्वामी अभिराम देवाचार्य महाराज पहुंचे कुंज आश्रम, प्रेमानंद महाराज संग किया दिव्य सत्संग

वृंदावन धाम में एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक समागम हुआ। जगद्गुरु भावानंद पीठाधीश्वर स्वामी अभिराम देवाचार्य महाराज ने प्रेमानंद महाराज जी से भेंट की। श्रीराधा हेति केलि कुंज आश्रम में दोनों ने गहन आध्यात्मिक सत्संग किया।

स्वामी अभिराम देवाचार्य महाराज जगद्गुरु द्वाराचार्य भावानंद पीठाधीश्वर हैं। उन्हें 2025 महाकुंभ प्रयागराज में रामानंद संप्रदाय और सभी वैष्णव अनी अखाड़ों के द्वाराचार्यों की तरफ से सर्वसम्मति से इस उच्च आध्यात्मिक पद पर प्रतिष्ठित किया गया था। उनके पट्टाभिषेक समारोह में दिगम्बर, निर्वाणी और निर्मोही अखाड़े सहित कई अखाड़ों के जगद्गुरु द्वाराचार्यों ने भाग लिया था। इस पद के माध्यम से वे सनातन धर्म, खासकर वैष्णव संप्रदाय, के सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करते हैं और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

भगवत कथा का मनन करने पर जल्‍द भगवान की कृपा
मुलाकात के दौरान, प्रेमानंद महाराज ने भगवत कथा श्रवण के अद्भुत महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भगवत प्राप्ति के लिए अन्य साधन न होने पर भी, केवल भगवत कथा का मनन सहित श्रवण करने से जल्द ही भगवान की कृपा प्राप्त हो जाती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मथुरा के एक ब्राह्मण पति-पत्नी ने केवल श्री कृष्ण की कथा सुनकर ही भगवत प्राप्ति कर ली थी। इसके अलावा, उन्होंने पापी धुंधकारी का भी उल्लेख किया, जिसे कथा श्रवण और मनन के बल पर ही अंत में लेने के लिए विमान आया था।

अंदर का सुमिरन निरंतर चलते रहना चाहिए
प्रेमानंद महाराज ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कथा का श्रवण और मनन केवल भगवत प्रसन्नता के लिए हो, तो जीवन कृत-कृत्य हो जाता है और भगवत कृपा का पान होने लगता है। उन्होंने उपदेश दिया कि अंदर का सुमिरन (भगवान का नाम स्मरण) निरंतर चलते रहना चाहिए, क्योंकि यह सभी साधनाओं का एकमात्र फल है। यह दिव्य सत्संग भक्तों के लिए आत्मिक उन्नति का प्रेरणा स्रोत बना।