नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के समक्ष आतंकवाद पर भारत का रूख एकदम स्पष्ट करते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि आतंकवाद का हर कृत्य आपराधिक तथा अनुचित है और संगठन को सामूहिक सुरक्षा के लिए इस खतरे को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए एकजुट होना चाहिए। राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में गुरुवार को एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में जोर देकर कहा, “शांति और समृद्धि आतंकवाद और सरकार से इतर तत्वों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के साथ सह-अस्तित्व में नहीं रह सकती। आतंकवाद के अपराधियों, समर्थकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता है।”
उन्होंने पाकिस्तान और चीन की मौजूदगी में साफ शब्दों में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने आतंकवाद के खिलाफ बचाव और सीमा पार हमलों को रोकने के अपने अधिकार का प्रयोग किया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के ठिकाने अब सुरक्षित नहीं हैं और भारत उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेगा। राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति का उल्लेख करते हुए सदस्य देशों से सामूहिक सुरक्षा के लिए इस खतरे को समाप्त करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया।
रक्षा मंत्रियों, एससीओ महासचिव, एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी ढांचे (आरएटीएस) के निदेशक और अन्य प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं, बढ़ती कट्टरता, उग्रवाद और आतंकवाद इन समस्याओं का मूल कारण हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद और उससे जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है। यह जरूरी है कि जो लोग संकीर्ण और स्वार्थी उद्देश्यों के लिए आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा, “कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को आश्रय देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम मे जघन्य आतंकवादी हमले के जवाब में आतंकवाद से बचाव और सीमा पार से होने वाले हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के दौरान पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मार दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के एक प्रतिनिधि द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली। पहलगाम हमले का पैटर्न भारत में एलईटी के पिछले आतंकी हमलों से मेल खाता है। भारत ने इस ऑपरेशन से आतंकवाद को बर्दाश्त न करने की अपनी नीति को स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा, “इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद का बचाव करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।”
राजनाथ सिंह ने सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवाद के निंदनीय कृत्यों के अपराधियों, उनके आकाओं, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता दोहराई। उन्होंने आतंकवाद के हर कृत्य को आपराधिक और अनुचित करार दिया, चाहे वह किसी भी उद्देश्य से, किसी भी समय, किसी भी स्थान पर और किसी भी व्यक्ति द्वारा किया गया हो। उन्होंने कहा कि एससीओ सदस्यों को इस बुराई की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने के भारत के संकल्प की पुष्टि की। रक्षा मंत्री ने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “भारत की अध्यक्षता के दौरान ‘आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को जन्म देने वाली कट्टरपंथ का मुकाबला करने’ पर एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद का संयुक्त वक्तव्य हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।”