अहमदाबाद| गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. जय नारायण व्यास ने राजीव गांधी भवन में पत्रकार मित्रों के जीएसटी से संबंधित प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी बार-बार जीएसटी सुधार की बात करते थे और जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहकर लोगों की भावनाओं को भड़काते थे। यह स्वागत योग्य है कि सरकार ने मजबूरी के बावजूद विपक्ष की मांग और जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जीएसटी कम करने की पहल की है। उपरोक्त जीएसटी कटौती का श्रेय किसी एक व्यक्ति को नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि जीएसटी परिषद में बहुमत विपक्षी राज्यों का है और उनकी सहमति के कारण ही लोगों को उपरोक्त लाभ मिला है। सूत्रों के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल की बैठक में विपक्षी राज्यों ने केंद्र से राजस्व संरक्षण और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की मांग की है। विपक्षी राज्यों का कहना है कि कंपनियों को कम टैक्स का फायदा उठाकर मुनाफाखोरी की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। कर कटौती का पूरा लाभ सीधे उपभोक्ताओं की जेब तक पहुँचना चाहिए। वे यह भी चाहते हैं कि नए कर स्लैब से राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए एक स्पष्ट क्षतिपूर्ति योजना बनाई जाए। कई भाजपा शासित राज्यों ने भी इस बदलाव से राजस्व हानि को लेकर चिंता व्यक्त की है। 2017 में जब जीएसटी लागू किया गया था, तब केंद्र ने राज्यों को पाँच साल तक राजस्व हानि की भरपाई करने का वादा किया था। इसके लिए लग्जरी वस्तुओं पर सेस लगाया गया था, लेकिन यह व्यवस्था जून 2022 में समाप्त हो गई। अब विपक्षी राज्य चाहते हैं कि लग्जरी टैक्स से प्राप्त धन का 40% राज्य के खजाने में जाए, ताकि उनकी वित्तीय स्थिति खराब न हो। जीएसटी कटौती का फायदा कंपनियों को नहीं, बल्कि जनता को मिलना चाहिए। उदाहरण के लिए, 5 रुपये वाले पाँच बिस्कुट पर 18 प्रतिशत जीएसटी के हिसाब से 90 पैसे जीएसटी लग रहा था। जीएसटी कटौती के बाद, उन पर 5 प्रतिशत यानी 25 पैसे जीएसटी लगेगा। इस प्रकार, 65 पैसे का सीधा लाभ उपभोक्ता या उद्योगपतियों को नहीं मिलना चाहिए। उपरोक्त बात हर आवश्यक वस्तु पर लागू होती है और उसकी कीमत तभी कम होगी जब जीएसटी में कटौती को सार्थक माना जाएगा। सरकार को एक तंत्र स्थापित करके इसे लागू करना चाहिए।
जीएसटी की दरों में कटौती का लाभ कंपनियों को नहीं, बल्कि जनता को मिलना चाहिए: कांग्रेस
