नाथुला दर्रे से कैलाश मानसरोवर का पहला जत्था रवाना

सिक्किम । 5 साल बाद कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए सिक्किम के नाथुला दर्रे से पहला जत्तथा रवाना हुआ है।शुक्रवार को सिक्किम के चीन-भारत की सीमा से मानसरोवर की यात्री रवाना हुए हैं।मानसरोवर समुद्र तल से 14000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
 5 साल से यह यात्रा बंद थी।जिसके कारण इस बार श्रद्धालुओं में बड़ा जोश है। बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यह यात्रा गंगटोक से होते हुए तिब्बत से कैलाश पर्वत को जाती है।
 कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। भगवान आदिनाथ की तपस्या स्थली है। मानसरोवर में ब्रह्मा जी द्वारा निर्मित पवित्र झील भी है। जैन धर्म और बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं के लिए मानसरोवर का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। भगवान ऋषभदेव ने यहां से तपस्या करके निर्माण प्राप्त किया था। जैन धर्म के वह प्रथम तीर्थंकर थे। बौद्ध धर्म के श्रद्धालु  इसे रिनपोचे से जोड़ते हैं।
 सिक्किम राज्य की पर्यटन से, यहां की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। बड़े पैमाने पर यात्री आने के कारण दुकान होटल और आथित्य को लेकर रोजगार के कई अवसर पैदा होते हैं।
 नाथुला दर्रा (सिक्कम) से होते हुए कैलाश की यह यात्रा लगभग 21 से 22 दिन में पूरी होती है। यात्रियों के लिए यहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं का भी इंतजाम किया जाता है। यात्रियों के साथ तीन से चार डॉक्टरों का दल शामिल किया जाता है। किसी भी आपात स्थिति में उन्हें चिकित्सा उपलब्ध कराई जाती है।