गोरखपुर। महायोगी गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय में गोरखपुर की भव्यता झलकेगी। कुलपति डा. के रामचंद्र रेड्डी रचित कुलगीत में गोरखपुर के विरासत, संस्कृति संग आयुष की भव्यता समावेश किया गया है। राष्ट्रपति के कार्यक्रम के दौरान इसकी प्रस्तुति को लेकर तैयारी चल रही है। जल्द ही कुलगीत को स्वरबद्ध करा लिया जाएगा।
कुलगीत में गोरखपुर को आरोग्य शास्त्रों की राजधानी, चिकित्सा शास्त्रों की राजधानी, ये सर्व वैद्य शास्त्रों की राजधानी बताया गया है।आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण एक जुलाई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु करेंगी। भव्य कार्यक्रम को लेकर विवि प्रशासन, पुलिस- प्रशासन, लोक निर्माण विभाग सहित अन्य महकमों के अधिकारी तैयारी में जुटे हैं।
राष्ट्रपति के मंचासीन होने के बाद आयुष विश्वविद्यालय के कुलगीत की प्रस्तुति को लेकर भी योजना तैयार की जा रही है। कुलपति ने इसकी रचना की है। विवि से जुड़े लोगों का कहना है कि जल्द ही इसे स्वरबद्ध करा लिया जाएगा। कुलगीत किसी विश्वविद्यालय या शैक्षणिक संस्थान का आधिकारिक गान होता है।
इसे किसी कार्यक्रम या उत्सव में प्रस्तुत किया जाता है। इसमें संस्थान की परंपराओं, उसके मूल्यों और पहचान को दर्शाया जाता है। इसे संस्थान का गौरव गान भी कहा जाता है। इसलिए आयुष विवि के कुलगीत में गोरखपुर को आरोग्य, चिकित्सा और सर्व वैद्य शास्त्रों की राजधानी बताया गया है।
आयुष विश्वविद्यालय के निर्माण, उद्देश्य और लाभ के साथ वैद्य शास्त्र आयुर्वेद, सिद्ध, योग, प्रकृति चिकित्सा, यूनानी एवं होम्यो चिकित्सा पद्धतियों का मेल संगम विद्यालय कहा गया है। इसमें राप्ती नदी के तट पर बसे गोरखपुर का बखान है। गुरु गोरखनाथ के हठ योग एवं भस्मों के निर्माण और प्रयोग पद्धति का उल्लेख है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपलब्धियों और पुरुषार्थ के मार्ग पर चलने, आयुष विश्वविद्यालय में मौजूद पंचकर्म सहित अन्य चिकित्सा पद्धतियों के बारे में जानकारी दी गई है।कुलगीत से आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य आसानी से समझा जा सकेगा। आयुष विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों का कहना है कुलगीत को स्वरबद्ध करने की अनुमति पूर्व में मिल चुकी है। जल्द ही रिकार्डिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।