नवरात्र का इतिहास प्राचीन ग्रंथों, देवी पुराण और रामायण से जुड़ा

नवरात्र का इतिहास प्राचीन ग्रंथों, देवी पुराण और रामायण से जुड़ा है। इसकी परंपराएं भारत में अलग-अलग क्षेत्रों में अलग तरह से मनाई जाती हैं।  इसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का प्रावधान होता है!
रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने रावण-वध से पूर्व अश्विन शुक्ल पक्ष की नवरात्र में देवी दुर्गा की आराधना की थी!  उनकी भक्ति से माता प्रसन्न हुईं और विजय का आशीर्वाद दिया!
नवरात्र तो साल में चार बार लेकिन मनाते दो ही
साल में नवरात्र कुल चार बार होती है, लेकिन केवल दो बार ही महत्त्वपूर्ण रूप में मनाई जाती है – चैत्र यानि वसंत ऋतु में और शारदीय नवरात्र यानि शरद ऋतु में आने वाली नवरात्र! बाकी दो नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है, जो तुलनात्मक रूप से कम जानी जाती हैं।
गुप्त नवरात्र क्या होते हैं
सालभर में दो गुप्त नवरात्र आते हैं – आषाढ़ नवरात्र और माघ नवरात्र. आषाण गुप्त नवरात्रि साधना और ध्यान के लिए होता है। वहीं माघ गुप्त नवरात्रि में साधना की जाती है.
आमतौर गुप्त नवरात्र को तंत्र मंत्र साधना के उपयुक्त माना जाता है। इस समय भक्त उपवास, योग साधना, ध्यान और मंत्र जाप के द्वारा अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों को बढ़ाने का प्रयास करते हैं। यह साधना गुप्त रूप से यानी गोपनीय तरीके से की जाती है, इसलिए इसे गुप्त नवरात्र कहा जाता है.
इसमें 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है, जिनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी शामिल हैं. इनकी साधना से साधक को दुर्लभ और विशेष शक्तियां प्राप्त होने की मान्यता है।