बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मिड-डे मील में कुत्ते का जूठा भोजन परोसे जाने के मामले में पीड़ित 84 बच्चों को एक माह में 25-25 हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की खंडपीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि यह राज्य सरकार की गंभीर लापरवाही है, जिसने मासूम बच्चों की जान को खतरे में डाल दिया।
घटना 28 जुलाई को बलौदाबाजार जिले के पलारी ब्लॉक के लच्छनपुर शासकीय माध्यमिक विद्यालय में हुई थी। वहां बच्चों को कुत्ते का जूठा भोजन परोसा गया था। हाई कोर्ट ने इसे स्वत: संज्ञान लिया। जय लक्ष्मी स्व-सहायता समूह द्वारा तैयार किए गए मिड-डे मील को कुत्ते ने जूठा कर दिया था। छात्रों ने शिक्षकों को सूचित किया, लेकिन इसके बावजूद यह खाना बच्चों को परोसा गया। अभिभावकों के विरोध के बाद सभी छात्रों को एंटी-रेबीज वैक्सीन के तीन-तीन इंजेक्शन लगाए गए।
जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई
कलेक्टर की जांच में स्पष्ट हुआ कि शिक्षकों को घटना की जानकारी थी, फिर भी जूठा भोजन नहीं हटाया। इस मामले में शासन ने प्रधानपाठक संतोष कुमार साहू, क्लस्टर प्राचार्य और संबंधित शिक्षकों को निलंबित कर दिया है। साथ ही स्व-सहायता समूह को मिड-डे मील कार्य से हटा दिया। तीन शिक्षकों की एक वेतनवृद्धि रोकी गई।
सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ने कई आंगनबाड़ी केंद्र जर्जर व किराए के भवन में चलने का मुद्दा उठाया। इस पर महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त सचिव को भी व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया गया है।
हाई कोर्ट ने कहा- इस तरह की लापरवाही असहनीय
अदालत ने कहा कि जब राज्य सरकार बच्चों के भोजन और शिक्षा पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, तब इस तरह की लापरवाही असहनीय है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिक्षक और समूह सदस्य दोनों ही बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर उदासीन रहे। कोर्ट ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सरकार को सतर्क और जिम्मेदार रहना होगा।
कोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव को निर्देशित किया है कि वे व्यक्तिगत हलफनामा पेश कर यह बताएं कि, क्या सभी छात्रों का पूरा टीकाकरण हुआ है। जिम्मेदार अधिकारियों और शिक्षकों के खिलाफ क्या अंतिम कार्रवाई की गई है। भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए क्या ठोस कदम उठाए जाएंगे।