भोपाल : मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नारायण सिंह पंवार ने सोमवार को जनसंपर्क विभाग में आयोजित पत्रकार वार्ता में दो वर्षों की उपलब्धियां साझा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने मत्स्य क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन किया है। बीते दो वर्षों में मत्स्य उत्पादन, रोजगार, आधुनिक तकनीक और मछुआ समुदाय की आय में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। राज्यमंत्री पंवार ने बताया कि मध्यप्रदेश में नदियों, जलाशयों और तालाबों के माध्यम से लगभग 4.42 लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र उपलब्ध है, जो मत्स्य विकास के लिए अत्यंत अनुकूल है। राज्य में मत्स्य पालन केवल आजीविका का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक उत्थान का मजबूत आधार बन चुका है।
राज्यमंत्री पंवार ने कहा कि वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में मत्स्य उत्पादन में सतत वृद्धि हुई है। आधुनिक तकनीकों जैसे केज कल्चर, बायोफ्लॉक और आरएएस को बढ़ावा देकर उत्पादन क्षमता को कई गुना बढ़ाया गया। वर्ष 2024-25 में मत्स्य उत्पादन लगभग 4.45 लाख टन तक पहुंच गया, जो पूर्व वर्षों की तुलना में बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के प्रभावी क्रियान्वयन से प्रदेश नीली क्रांति की ओर तेजी से बढ़ा है। राज्यमंत्री पंवार ने बताया कि 2024-25 में PMMSY के तहत 122.5 करोड़ रुपये से अधिक के कार्य स्वीकृत हुए। इससे हजारों मछुआ परिवारों को नाव, जाल, आइस बॉक्स, मोटरसाइकिल और कोल्ड-चेन जैसी सुविधाएं मिलीं, जिससे उनकी आय में सीधा इजाफा हुआ।
मछुआरों की समृद्धि पर फोकस
राज्यमंत्री पंवार ने कहा कि बीते दो वर्षों में मछुआ समुदाय के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। वर्ष 2024-25 में 556 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं का लाभ मछुआ परिवारों को दिया गया। मत्स्य पार्लर, मूल्य संवर्धन, विपणन और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं से मछुआरों को बेहतर बाजार और उचित मूल्य मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मत्स्य विकास योजनाओं के कारण प्रदेश में हजारों नए रोजगार सृजित हुए हैं। मत्स्य उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों के चलते ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। वर्ष 2022-23 में जहां उत्पादन 3.41 लाख टन था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 4.45 लाख टन हो गया, जिससे मछुआरों की औसत आय में निरंतर वृद्धि हुई है।
आधुनिक और तकनीकी मत्स्य पालन
मंत्री पंवार ने कहा कि केज फिश फार्मिंग, बायोफ्लॉक और आरएएस जैसी आधुनिक प्रणालियों को अपनाकर प्रदेश तकनीकी मत्स्य पालन की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इससे कम जल क्षेत्र में अधिक उत्पादन संभव हुआ है और युवाओं को स्वरोजगार के नए अवसर मिले हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में इंटीग्रेटेड एक्वापार्क, रिसर्च सेंटर, टनल एक्वेरियम, रिसर्च एवं इनक्यूबेशन यूनिट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट और एम्यूजमेंट जोन जैसे नवाचार किए जा रहे हैं। इससे न केवल मत्स्य उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि पर्यटन और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। राज्यमंत्री पंवार ने कहा कि मत्स्य महासंघ के माध्यम से मूल्य संवर्धन, ब्रांडिंग और विपणन को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रसंस्करण, पैकेजिंग और विपणन से जुड़े नवाचारों से मछुआरों को सीधे लाभ मिल रहा है और उनकी उपज को राष्ट्रीय पहचान मिल रही है।
राज्यमंत्री पंवार ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि मत्स्य क्षेत्र को केवल उत्पादन तक सीमित न रखते हुए इसे रोजगार, आय और आत्मनिर्भरता का मजबूत आधार बनाया जा रहा है। बीते दो वर्षों में मत्स्य क्षेत्र में आए सकारात्मक बदलाव मध्यप्रदेश को देश के अग्रणी राज्यों में स्थापित करेंगे।
