सीहोर। सीहोर जिले के आष्टा ब्लॉक में एक प्राथमिक स्कूल भवन पर दबंग ने कब्जा कर उसे भैंसों का बाड़ा बना लिया। भवन के एक कमरे में पानी रिसने की समस्या और अधिक बच्चे पंजीकृत होने के कारण अब स्कूल एक मंदिर परिसर में संचालित हो रहा है। हैरानी की बात यह भी है कि स्कूल परिसर में शौचालय तक नहीं है। इसके चलते स्कूल शिक्षक ने प्लास्टिक की पन्नी से अस्थायी शौचालय बना रखा है।
दरअसल, सीहोर जिले के आष्टा ब्लॉक में शिक्षा व्यवस्था का हाल बेहद चिंताजनक है। आष्टा विधानसभा क्षेत्र के गांव रूपकुंड में शासकीय प्राथमिक शाला की स्थिति बेहद दयनीय है। सरकारी स्कूल के भवन पर गांव के ही एक दबंग ने कब्जा कर लिया है, जिसमें वह अपने मवेशियों को बांध रहा है और बच्चे मंदिर परिसर में पढ़ने को मजबूर हैं। पंचायत के सरपंच-सचिव भी इस समस्या को लेकर चुपचाप बैठे हैं। बताया जाता है कि यहां का प्राथमिक शाला भवन काफी जर्जर हो चुका है, जिसमें कई जगह बारिश का पानी टपकता है, कमरों का प्लास्टर भी गिरने लगा है। पूर्व में पंचायत ने शाला संचालन के लिए दो कमरे बनाए थे। एक कमरे पर गांव के एक दबंग ने कब्जा कर लिया है और अब वहां मवेशी बांधे जा रहे हैं। एक कमरा बारिश में पानी रिसने और प्लास्टर गिरने की समस्या के कारण स्कूल संचालन के योग्य नहीं है।
शौचालय के स्थान पर प्लास्टिक की पन्नी लटकाकर की आड़
स्कूल परिसर में शौचालय की भी सुविधा नहीं है। इस समस्या से निपटने के लिए, स्कूल के शिक्षक ने प्लास्टिक की पन्नी से एक अस्थायी शौचालय बना रखा है, जो स्वास्थ्य और स्वच्छता के मानकों पर खरा नहीं उतरता। स्थानीय निवासियों और अभिभावकों ने इस मुद्दे पर कड़ी नाराजगी जताई और मांग करते हुए कहा कि प्रशासन इसका तुरंत समाधान करे। शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार की लापरवाही और अव्यवस्था से बच्चों का भविष्य अधर में लटक सकता है।
प्राथमिक स्कूल में 62 बच्चे
रूपकुंड प्राथमिक स्कूल में कक्षा 1 से 5 तक कुल 62 बच्चे दर्ज हैं। इतने बच्चे एक कमरे में नहीं बैठ सकते हैं, इसलिए मजबूरन समीपस्थ मंदिर प्रांगण में कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। शिक्षा विभाग के जिम्मेदार और प्रशासनिक अफसरों ने कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। यह न केवल छात्रों के लिए असुविधाजनक है, बल्कि उनकी शिक्षा के अधिकार का भी उल्लंघन है। इस संबंध में शाला प्रभारी राजेश कुमार व्यास ने बताया कि समस्या के संबंध में कई बार बड़े अफसरों को पत्र लिखकर अवगत कराया गया है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है। इसके चलते उन्हें मंदिर परिसर में बच्चों का स्कूल संचालित करना पड़ रहा है। इस संबंध में डीपीसी आरआर उइके कहते हैं कि मामला संज्ञान में है। स्कूल भवन डिस्पेंसल हो गया है। भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।