व्यापार: भारतीय रिजर्व बैंक का स्वर्ण भंडार पिछले 12 महीनों में सितंबर 2025 तक 25.45 मीट्रिक टन बढ़कर 880 मीट्रिक टन (करीब 9 लाख किलो) हो गया। केंद्रीय बैंक का गोल्ड रिजर्व सितंबर 2024 के अंत में उसके भंडार 854.73 मीट्रिक टन से बढ़कर चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के अंत में 880.18 मीट्रिक टन हो गया। इसमें 25.45 मीट्रिक टन की वृद्धि हुई। केंद्रीय बैंक ने मंगलवार को जारी एक छमाही रिपोर्ट में यह बात कही है।
आरबीआई ने विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन पर मंगलवार को जारी अप्रैल-सितंबर 2025 के लिए अपनी अर्धवार्षिक रिपोर्ट में कहा, "सितंबर 2025 के अंत तक रिजर्व बैंक के पास 880.18 मीट्रिक टन सोना था। रिजर्व बैंक ने बताया है कि उसके सोने के भंडार का 575.82 मीट्रिक टन देश में है, जबकि 290.37 मीट्रिक टन सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) के पास सुरक्षित रखा गया है। केंद्रीय बैंक 13.99 मीट्रिक टन सोना जमा के रूप में रखा गया है।
देश के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा मार्च 2025 के अंत तक 11.70 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2025 के अंत तक लगभग 13.92 प्रतिशत हो गया। हालांकि, इस दौरान विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2025 के अंत तक मामूली रूप से घटकर 700.09 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया। सितंबर 2024 के अंत तक यह 705.78 बिलियन अमरीकी डॉलर था। भंडार मार्च 2025 के अंत में 668.33 अरब डॉलर से बढ़कर सितंबर 2025 के अंत में 700.09 अरब डॉलर हो गया।
हालांकि डॉलर और यूरो दोनों का ही इस्तेमाल रुपये को स्थिर रखने के लिए किया जा सकता है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में शामिल होते हैं पर विदेशी मुद्रा भंडार को अमेरिकी डॉलर में ही व्यक्त किया जाता है। आरबीआई के अनुसार, "एफसीए में उतार-चढ़ाव मुख्य रूप से आरबीआई की ओर से विदेशी मुद्रा की खरीद और बिक्री, विदेशी मुद्रा भंडार से होने वाली आय, केंद्र सरकार की बाह्य सहायता प्राप्तियां और परिसंपत्तियों के पुनर्मूल्यांकन के कारण होने वाले परिवर्तनों के कारण होता है।"
विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बहु-मुद्रा परिसंपत्तियां शामिल होती हैं, जिन्हें मौजूदा मानदंडों के अनुसार बहु-परिसंपत्ति पोर्टफोलियो में रखा जाता है, जो इस संबंध में अपनाई जाने वाली सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप हैं। सितंबर 2025 के अंत तक, 579.18 बिलियन अमरीकी डालर के कुल एफसीए में से, 489.54 बिलियन अमरीकी डालर प्रतिभूतियों में निवेश किया गया था, 46.11 बिलियन अमरीकी डालर अन्य केंद्रीय बैंकों और बीआईएस के पास जमा किया गया था और शेष 43.53 बिलियन अमरीकी डालर विदेशों में वाणिज्यिक बैंकों के पास जमा थे।
इसमें कहा गया है, "पोर्टफोलियो में विविधता लाते हुए रिज़र्व प्रबंधन में नई रणनीतियों और उत्पादों की खोज के उद्देश्य से, रिजर्व का एक छोटा सा हिस्सा बाहरी परिसंपत्ति प्रबंधकों की ओर से प्रबंधित किया जा रहा है। बाहरी परिसंपत्ति प्रबंधकों की ओर से किए गए निवेश आरबीआई अधिनियम, 1934 के अनुसार दी गई मंजूरियों के तहत नियंत्रित होते हैं।"
