छत्तीसगढ़ में सावन माह की शुरुआत के साथ ही चारों ओर आस्था का ज्वार उमड़ पड़ा है. गरियाबंद जिले में स्थित प्रसिद्ध भूतेश्वर नाथ महादेव मंदिर इन दिनों शिवभक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. यहां स्थापित 80 फीट लंबा और 210 फीट गोलाई वाला अद्भुत स्वयंभू शिवलिंग भक्तों को चमत्कृत कर रहा है, जिसके दर्शन और जलाभिषेक के लिए दूरदराज से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. यहां हर रोज काफी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं.
आसपास के गांव के लोगों का मानना है कि पहले भूतेश्वर महादेव एक छोटे टीले के रूप में थे. फिर धीरे-धीरे इनका आकार बढ़ता गया. साथ ही शिवलिंग के आकार में बढ़ाव अब भी जारी है. यह शिवलिंग न सिर्फ अपने विशाल आकार के लिए विख्यात है बल्कि इसे प्रकृति का एक अनमोल और स्वनिर्मित उपहार माना जाता है. स्थानीय लोगों की प्रबल मान्यता है कि यह शिवलिंग स्वयं पृथ्वी से प्रकट हुआ है और वर्षों से इसी स्थान पर विद्यमान है. इसका विशालकाय स्वरूप और इसकी प्राकृतिक उत्पत्ति इसे और भी रहस्यमयी और पूजनीय बनाती है.
सावन मास में लगती लंबी कतारें
सावन के पावन महीने में भूतेश्वर नाथ मंदिर की छटा देखते ही बनती है. हर सोमवार और पूरे सावन माह में पूजन-अर्चन के लिए यहां भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं. स्थानीय श्रद्धालु हों या दूरदराज से आए कांवड़ यात्री, सभी ‘बोल बम’ के जयघोष के साथ महादेव को जल अर्पित करने पहुंचते हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान ‘बोल बम’ के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर शिवमय वातावरण में डूबा रहता है, जहां भक्तिगीतों की गूंज और धूप-दीप की सुगंध मन को शांति प्रदान करती है.
दर्शन मात्र से दूर होते दुख-दर्द
इस स्वयंभू शिवलिंग को लेकर श्रद्धालुओं में गहरी आस्था है. मान्यता है कि भूतेश्वर नाथ महादेव के दर्शन मात्र से भक्तों के सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. यह स्थल केवल एक मंदिर नहीं बल्कि आस्था, विश्वास और प्राचीन परंपरा का प्रतीक है, जो हर साल हजारों भक्तों को अपनी ओर खींचता है.