बैतूल में उफनती नदी बनी चुनौती, गर्भवती महिला को बैलगाड़ी से पार कराया गया

बैतूल: वायदे और आश्वासनों के बावजूद भाजी नदी पर अब तक पुल का निर्माण नहीं हुआ है। नतीजतन, बारिश के मौसम में ग्रामीणों को आज भी जान जोखिम में डालकर नदी पार करनी पड़ती है। ताजा मामला बैतूल जिले घोड़ा डोंगरी विधानसभा क्षेत्र के चिचोली विकासखंड के बोर्ड रैयत गांव का है, जहां रविवार को गर्भवती महिला सुनीता (पति बबलू) को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। अस्पताल ले जाने के रास्ते में भाजी नदी बहती है, जिसमें भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई थी।

बैलगाड़ी से नदी पार कराई

ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाई और सुनीता को बैलगाड़ी में बैठाकर नदी पार कराई। बैलगाड़ी के आगे और पीछे कई ग्रामीण चल रहे थे ताकि किसी प्रकार की अनहोनी न हो। सुनीता को सुरक्षित रूप से चिरपाटला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां नर्स पूनम उईके की देखरेख में उसकी डिलीवरी कराई गई। उसने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। फिलहाल मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
 
परिवार और ग्रामीणों की आपबीती

सुनीता की सास रामवती ने बताया कि नदी का बहाव बहुत तेज था, लेकिन प्रसव पीड़ा बढ़ने के कारण उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना जरूरी था। ग्रामीणों ने सहयोग किया और जोखिम उठाते हुए बैलगाड़ी के जरिए नदी पार कराई। मैं भी साथ आ रही थी, बहने लगी तो साथ वालों ने पकड़ा। रामवती ने बताया कि बैलगाड़ी से नदी पार करने के बाद एंबुलेंस से अस्पताल लेकर आए ।

पुल निर्माण की मांग पर फिर उठी आवाज

समाजसेवी राजेंद्र गढ़वाल ने कहा कि भाजी नदी गांव के बीच से गुजरती है। कई बार संगठनों ने यहां पुल निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन किए, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने बताया कि इस नदी में कई बार हादसे हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन लापरवाह बना हुआ है।

आंदोलन की चेतावनी

राजेंद्र गढ़वाल ने चेतावनी दी कि अगर 15 अगस्त तक पुल निर्माण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो श्रमिक आदिवासी संगठन बड़े आंदोलन की तैयारी करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन बार-बार बजट का बहाना बनाकर काम टाला जा रहा है। अब ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।