नवरात्रि पर्व की शुरुआत होने वाली है और इस दौरान भक्त माता दुर्गा के मंदिरों में दर्शन के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. जयपुर के विभिन्न इलाकों में मां दुर्गा के कई प्राचीन मंदिर हैं, जहां माता अलग-अलग रूपों में विराजमान हैं. इनमें से एक प्रमुख मंदिर है आमेर रोड पर अरावली पर्वतमाला की गुजर घाटी की चोटी पर स्थित वैष्णोदेवी मंदिर. यह मंदिर जम्मू-कश्मीर के वैष्णोदेवी मंदिर की अनुकृति है, जहां मां वैष्णोदेवी के दर्शन भक्तों को उसी रूप में प्राप्त होते हैं.
पुजारियों के अनुसार, यह स्थान वर्षों पहले प्रतापपुरी महाराज जैसे कई साधु-संतों की तपोस्थली रहा है. पहाड़ी पर बनी गुफा में माता स्वयं प्रकट हुई थीं. 2014 में मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार किया गया, और मां काली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की पिंडी रूप में प्राण-प्रतिष्ठा की गई. 500 फीट की ऊंचाई पर घने जंगलों के बीच स्थित यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य का अनुपम संगम है, जो नवरात्रि के दौरान भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनता है.
मंदिर से जुड़ी है अनोखी मान्यताएं
प्राचीन मंदिरों की तरह इस मंदिर की भी अपनी विशेष मान्यता है. पुजारियों ने बताया कि जब मंदिर का निर्माण नहीं हुआ था, तब भक्तों को गुफा में घुटनों के बल रेंगकर माता के दर्शन करने पड़ते थे. अब मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद दर्शन सुगम हो गए हैं. माता वैष्णोदेवी यहां तीन रूपों मां काली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी के पिंडी स्वरूप में विराजमान हैं. मंदिर परिसर में आज भी साधु-संतों के प्राचीन धुणे और यज्ञ स्थल मौजूद हैं, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं.
रोप-वे से मंदिर पहुंचना हो गया आसान
पहले भक्तों को घने जंगलों और पथरीले रास्तों से होकर मंदिर तक पहुंचना पड़ता था, लेकिन अब रोप-वे की सुविधा शुरू होने से दर्शन आसान हो गए हैं. इस सुविधा ने भक्तों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की है. रोप-वे न केवल दर्शन के लिए सुविधाजनक है, बल्कि पर्यटकों को ऊंचाई से जंगल की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेने का अवसर भी देता है. सुबह-शाम बड़ी संख्या में भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
भक्ति और पर्यटन का अनूठा संगम है यह धार्मिक स्थल
वैष्णोदेवी मंदिर के निकट खोले के हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर और अन्य छोटे-बड़े मंदिर भी हैं, जो एक ही स्थान पर विभिन्न धार्मिक और प्राकृतिक अनुभव प्रदान करते हैं. जयपुर घूमने आने वाले पर्यटक इस मंदिर और इसके आस-पास की प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए विशेष रूप से आकर्षित होते हैं. नवरात्रि के दौरान यह मंदिर भक्ति और पर्यटन का अनूठा संगम बन जाता है.
