दो दिग्गज, दो रिकॉर्डधारी: कोहली-धोनी ने वनडे में रचा अनोखा इतिहास

नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कई स्टार खिलाड़ी और कप्तान आए और गए, लेकिन इनमें से कुछ ही खिलाड़ियों ने दोनों किरदारों में अपनी छाप छोड़ी। इनमें से विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी ऐसे नाम हैं, जो न केवल अपने खेल से बल्कि अपने जज्बे, नेतृत्व और रिकॉर्ड से हमेशा याद रखे जाएंगे। ये दोनों न केवल भारतीय क्रिकेट के लिए बल्कि पूरी क्रिकेट दुनिया के लिए प्रेरणा के स्रोत रहे हैं। वनडे क्रिकेट में 10,000 से अधिक रन बनाना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसे 50 से अधिक की औसत से करना, एक अलग ही स्तर की बात है। और हैरानी की बात यह है कि यह कारनामा केवल दो बल्लेबाजों ने, कोहली और धोनी ने किया है।

विराट कोहली ने वनडे में 302 मैचों की 290 पारियों में 57.88 की बेहतरीन औसत से 14,181 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 51 शतक और 74 अर्धशतक लगाए हैं। दूसरी ओर, धोनी ने अपने शांत स्वभाव और फिनिशिंग क्षमता के दम पर वनडे में 350 मैचों की 297 पारियों में 50.57 की औसत से 10,773 रन बनाए। यह दोनों ही आंकड़े दिखाते हैं कि ये सिर्फ रन मशीन नहीं, बल्कि मैच जिताने वाले खिलाड़ी भी हैं।

कोहली जहां आक्रामक अंदाज, फिटनेस और निरंतरता के लिए मशहूर हैं, वहीं धोनी अपनी रणनीति, शांत दिमाग और मैच के अंतिम पलों में ‘कूल’ बने रहने के लिए जाने जाते हैं। दोनों के बीच मैदान पर कई यादगार साझेदारियां देखने को मिलीं, जहां एक ने पारी संभाली तो दूसरे ने उसे खत्म करने का काम किया। कोहली अभी भी वनडे में सक्रिय हैं, जबकि धोनी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं। कोहली टेस्ट और टी20 से संन्यास ले चुके हैं।

15 अगस्त का दिन खास इसलिए भी है क्योंकि पांच साल इसी तारीख को धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा था। उस दिन उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो के जरिए अपने संन्यास की घोषणा की थी, और कुछ ही देर बाद उनके करीबी साथी सुरेश रैना ने भी रिटायरमेंट का एलान कर दिया था। धोनी के संन्यास के बाद भारतीय क्रिकेट में एक युग का अंत हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी हर युवा खिलाड़ी को प्रेरित करती है।

धोनी और कोहली, दोनों की कहानियां अलग हैं, लेकिन दोनों का मकसद एक ही रहा, टीम इंडिया को जीत दिलाना। उनके रिकॉर्ड सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि करोड़ों फैंस के दिलों में भी दर्ज हैं। शायद यही वजह है कि भारतीय क्रिकेट के इतिहास में इन दोनों का नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।