जबलपुर : यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के बाद अब उसकी राख सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई है. दरअसल, हाईकोर्ट ने राख विनिष्टिकरण की पूरी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं. हालांकि, मध्य प्रदेश राज्य प्रदूषण बोर्ड ने विनष्टीकरण की जानकारी प्रस्तुत करने के लिए हाईकोर्ट से समय प्रदान करने के आग्रह किया.
जहरीले कचरे से निकली 850 मीट्रिक टन राख
गौरतलब है कि वर्ष 2004 में आलोक प्रताप सिंह ने यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के विनष्टीकरण की मांग करते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता की मृत्यु के बाद हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई संज्ञान याचिका के रूप में हो रही थी. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पेश रिपोर्ट में बताया गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे का विनष्टीकरण सफलतापूर्वक पीथमपुर स्थित सुविधा केंद्र में कर दिया गया है. जहरीले कचरे से 850 मीट्रिक टन राख व अवशेष एकत्रित हुआ है.
क्या कचरे से निकली राख भी जहरीली?
कचरे से निकली राख को एमपीपीसीबी से क्लीयरेंस मिलने के बाद अलग लैंडफिल सेल में उसे नष्ट किया जाएगा. इस दौरान हाईकोर्ट में एक अन्य जनहित याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया था कि यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे की राख में रेडियो एक्टिव पदार्थ सक्रिय हैं, जो चिंता का विषय है. इसके अलावा राख में मरकरी है, जिसे नष्ट करने की तकनीक सिर्फ जपान व जर्मनी के पास है.
17 अगस्त को फिर होगी मामले की सुनवाई
हाईकोर्ट ने इस मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद मुख्य याचिका के साथ सुनवाई के आदेश जारी किए थे. वहीं, याचिका पर अगले सुनवाई के दौरान जहरीले कचरे की राख के विनिष्टिकरण के संबंध में जानकारी पेश करने मप्र पीसीबी की ओर से समय प्रदान करने का आग्रह किया गया, जिसे युगलीपीठ ने स्वीकार कर लिया.
जस्टिस अतुल श्रीधरन व जस्टिस अनुराधा शुक्ला की युगलपीठ ने आग्रह को स्वीकार करते हुए चार सप्ताह का समय प्रदान किया है. याचिका पर अगली सुनवाई 17 अगस्त को निर्धारित की गई है.