शहरी भारत की उड़ान, डिजिटल और आर्थिक विकास ने बढ़ाई रफ्तार, 16 गुना बढ़ा बजट

व्यापार: जब हम शहरों से और अधिक की अपेक्षा करते हैं, तो हमें यह भी देखना चाहिए कि हम पहले ही कितनी दूरी तय कर चुके हैं? आजादी के दशकों बाद तक, भारत के शहर उपेक्षित विचार थे। नेहरू की सोवियत शैली की केंद्रीकृत सोच ने हमें शास्त्री भवन और उद्योग भवन जैसे कंक्रीट के विशाल भवन दिए, जो 1990 के दशक तक ही ढहने लगे थे और सेवा के बजाय नौकरशाही के स्मारक बनकर रह गए।

15 साल पहले तक एनसीआर की बाहरी सड़कों पर हमेशा जाम…
2010 के दशक तक दिल्ली की हालत बहुत खराब थी। सड़कों पर गड्ढे थे, सरकारी इमारतें पुरानी, बदरंग और टपकती छतों वाली थीं। एनसीआर की बाहरी सड़कों पर हमेशा जाम लगा रहता था। एक्सप्रेसवे बहुत कम थे, मेट्रो कुछ शहरों तक सीमित थी। बुनियादी ढांचा तेजी से टूट-फूट का शिकार हो रहा था। दुनिया का नेतृत्व करने का सपना देखने वाले राजधानी उपेक्षा और बदहाल स्थिति का प्रतीक बन चुकी थी।

कभी जर्जर हालत थी, अब महत्वाकांक्षा और आत्मविश्वास…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालात को बदला। शहरों को विकास का इंजन और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक बनाया। यह बदलाव आज हर जगह दिखाई देता है। सेंट्रल विस्टा के पुनर्निर्माण ने कर्तव्य पथ को जनता की जगह बना दिया, नई संसद को भविष्य के अनुरूप संस्थान में बदल दिया और कर्तव्य भवन को सुचारु प्रशासनिक केंद्र बना दिया। जहां पहले जर्जर हालत थी, वहां अब महत्वाकांक्षा और आत्मविश्वास दिखता है।

16 गुना बढ़ गया शहरों का बजट
केंद्र सरकार का 2004-2014 के बीच शहरी क्षेत्र में निवेश करीब 1.57 लाख करोड़ रुपये था। 2014 के बाद से यह 16 गुना बढ़कर 28.5 लाख करोड़ हो गया है। 2025–26 के बजट में ही आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय को 96,777 करोड़ दिए गए। इतना बड़ा वित्तीय निवेश पहले कभी नहीं हुआ। इससे शहरी ढांचे का स्वरूप बदल रहा है।

  • व्यापक आर्थिक और डिजिटल प्रगति ने इस रफ्तार को और तेज कर दिया है। भारत आज करीब 350 लाख करोड़ रुपये के साथ चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। यहां डिजिटल व्यवस्था रोजमर्रा की जिंदगी को चला रही है। यूपीआई से हर महीने 24 लाख करोड़ के लेन-देन हो रहे हैं।
  • मेट्रो क्रांति बदलाव को अच्छी तरह दिखाती है। 2014 में 5 शहरों में 248 किमी की मेट्रो लाइन आज 23 से अधिक शहरों में एक हजार किमी से अधिक हो चुकी है। पुणे, नागपुर, सूरत और आगरा जैसे शहरों में नए कॉरिडोर बन रहे हैं। इससे सफर तेज, सुरक्षित और प्रदूषण-रहित हो रहा है।
  • शहरी कनेक्टिविटी की तस्वीर पूरी तरह बदल गई है। एनसीआर के जाम से भरे इलाकों को दिल्ली की तीसरी रिंग रोड यूईआर-II से राहत मिल रही है, जो एनएच-44, एनएच-9 व द्वारका एक्सप्रेसवे को जोड़कर पुराने जाम के बिंदुओं को आसान बना रही है।

बदल गई तस्वीर

  • एक्सप्रेसवे आवाजाही का नया चेहरा बन रहे हैं। दिल्ली-मुंबई व बेंगलुरु-मैसूरु एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मेरठ एक्सेस नियंत्रित कॉरिडोर और मुंबई कोस्टल रोड ने दूरी घटा दी है और बड़े वाहनों को शहर की गलियों से बाहर निकालकर हवा को साफ किया है। मुंबई में देश का सबसे लंबा समुद्री पुल अटल सेतु अब टापू जैसे शहर को मुख्य भूमि से सीधे जोड़ता है। मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल विकास का नया केंद्र बनेगी।
  • परिवहन का आधुनिकीकरण : 2014 में 74 हवाईअड्डे थे, जो आज 160 हो गए हैं। यह संभव हुआ उड़ान योजना और लगातार निवेश से। वंदे भारत ट्रेनें अब 140 से अधिक रूटों पर चल रही हैं, जिससे अलग-अलग क्षेत्रों में यात्रा का समय काफी घटा है।  
  • ऊर्जा सुधार ने शहरी जीवन को सुविधाजनक बनाया है। पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) आम होती जा रही है। घरेलू पीएनजी कनेक्शन 25 लाख से 1.5 करोड़ से ऊपर पहुंच गए हैं। लाखों शहरी घरों में नल घुमाकर ईंधन मिलना हकीकत बन चुका है।

यह है बदलाव की यात्रा
आजादी के बाद की उपेक्षा से मोदी युग के आधुनिकीकरण तक। शास्त्री भवन की जर्जरता से कर्तव्य भवन की महत्वाकांक्षा तक। गड्ढों वाली सड़कों से एक्सप्रेसवे और हाई-स्पीड कॉरिडोर तक। धुएं से भरे रसोईघरों से पीएनजी तक। झुग्गियों से लाखों पक्के घरों तक। टूटे-फूटे हॉल से विश्वस्तरीय सम्मेलन केंद्रों तक। संकोच करती राजधानी से आत्मविश्वासी वैश्विक मेजबान तक।

दुनिया की मेजबानी का आत्मविश्वास
भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन सफलता से आयोजित किया। यशोभूमि सबसे बड़े सम्मेलन परिसरों में है, जहां हजारों प्रतिनिधियों का एकसाथ स्वागत किया जा सकता है। इंडिया एनर्जी वीक ने बेंगलुरु, गोवा व नई दिल्ली में दुनिया की ऊर्जा कंपनियों और विशेषज्ञों को आकर्षित किया, जिससे यह साबित हुआ कि हमारे शहर बड़े पैमाने पर और बेहतरीन ढंग से दुनिया की मेजबानी कर सकते हैं।

समझदारी भरी कर नीति
जीएसटी सुधार के तहत ज्यादातर वस्तुओं और सेवाओं को 5% और 18% की दरों में रखा गया है। रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स घटा है। छोटे कार और दोपहिया वाहन पर कम जीएसटी लगेगा। कई दवाइयां और मेडिकल उपकरण भी सस्ते हो गए