भोपाल: सरकारी योजनाओं में इनोवेशन को लेकर देश भर में मध्य प्रदेश की चर्चा होती है. लाडली लक्ष्मी, किसान सम्मान निधि, लोक पथ ऐप के बाद अब मध्य प्रदेश में शुरू किए गए संपदा 2.0 को लेकर मध्य प्रदेश की राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हो रही है. संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर के लिए मध्य प्रदेश को राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस स्वर्ण पुरस्कार से नवाजे जाने का ऐलान हुआ है.
यह पुरस्कार मध्य प्रदेश को डिजिटल तकनीक के जरिए कामकाज में सुधार के लिए दिया गया है. संपदा 1.0 के बाद प्रदेश सरकार ने संपदा 2.0 में काफी बदलाव किए हैं. इससे लोगों की सुविधा तो बढ़ी है, साथ ही पारदर्शिता में भी बढ़ोत्तरी हुई है.
2.0 के बाद क्या बढ़ी सुविधाएं
मध्य प्रदेश में 10 अक्टूबर 2024 से संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर लॉन्च किया था. इस सॉफ्टवेयर के लॉन्च होने के बाद कई बड़े फायदे उपभोक्ताओं को मिला.
- अब उपभोक्ता को जमीन, भवन की रजिस्ट्री कराने के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस में जाने की जरूरत नहीं है. घर बैठे वेंडर की मदद से वह रजिस्ट्री करा सकते हैं.
- इस नए सॉफ्टवेयर में रजिस्ट्री कराने के दौरान प्रॉपर्टी की जियो टैगिंग होती है. जियो टैगिंग से प्रॉपर्टी की मौजूदा तस्वीरें टैग हो जाती है. यह लोकेशन की सटीकता सुश्चित तो करती है, साथ ही टैक्स चोरी की संभावना भी खत्म हो जाती है. पहले कई बार स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए भवन के स्थान पर प्लॉट की रजिस्ट्री करा ली जाती थी.
- संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर को कई विभागों के साथ लिंक किया गया है. अब इस सॉफ्टवेयर से राजस्व, वित्त विभाग, नगरीय विकास एवं आवास, पंचायत विभाग के अलावा जीएसटी, आयकर विभाग और आधार कार्ड से भी लिंक किया गया है.
- संपदा 2.0 में खरीदार चाहे तो स्वयं भी ई-स्टांप जारी कर सकता है. इसके लिए गवाहों की जरूरत नहीं पड़ती, क्यों खरीदार का डाटा आधार से लिंक रहेगा.
- संपदा 2.0 से मध्य प्रदेश के किसी भी जिले की मोबाइल लोकेशन के माध्यम से राजस्व दर का आसानी से पता लगाया जा सकता है.
संपदा 1.0 क्या था…
- पुराने सॉफ्टवेयर संपदा 1.0 में ऑनलाइन रजिस्ट्री की सुविधा नहीं थी. इसमें खरीदार और विक्रेता दोनों को बुकिंग के लिए स्लॉट बुक कराने के बाद तय समय पर रजिस्ट्रार कार्यालय पहुंचना होता था. दस्तावेज चेक कराने के बाद रजिस्ट्री होती थी.
- प्रॉपर्टी के जियो टैगिंग की सुविधा नहीं थी, इस वजह से पारदर्शिता की कमी थी. खरीदार को प्रॉपर्टी पर जाकर अलग-अलग एंगल से फोटो खिंचवानी होती थी. एंगल ठीक न होने पर लोकेशन बदलने की आशंका बनी रहती थी. इससे खरीदी गई प्रॉपर्टी की सटीकता सुनिश्चित करना कठित होता था.
- संपदा 1.0 में रजिस्ट्री के बाद हार्ड कॉपी मिलने में थोड़ा वक्त लगता था.
- संपदा 1.0 में सिर्फ राजस्व और वित्त विभाग का ही इंटीग्रेशन था.
उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने संपदा 2.0 को राष्ट्रीय स्तर पर सराहे जाने के लिए सभी को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश देश में पहला राज्य है, जहां 75 दस्तावेजों का फेसलेस, पेपरलेस ई-पंजीयन शुरू किया जा चुका है. इस सॉफ्टवेयर की मदद से जमीन विवादों में भी कमी आएगी. सरकार कामकाज में पारदर्शिता के लिए लिए कदम उठा रही है.