चंबल से विदाई लेगा ‘सफेद बाघ’, छत्तीसगढ़ से मध्य प्रदेश आएंगे नए मेहमान

ग्वालियर: जल्द ही मध्य प्रदेश में बने राजीव गांधी प्राणी उद्यान यानी ग्वालियर के चिड़ियाघर में नए मेहमानों का बसेरा होगा. भालू, लोमड़ी, हिरण जैसे जानवर यहां लाए जाएंगे. जिनका यहां आने वाले सैलानी दीदार कर सकेंगे, लेकिन इस चिड़ियाघर का एक सदस्य जिस पर चंबल गर्व करता है, यहां से विदा होगा. चंबल का सफेद बाघ जल्द ग्वालियर से छत्तीसगढ़ भेजा जाएगा. आखिर क्यों इन जानवरों का ठिकाना बदला जा रहा है आइए जानते हैं.

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बने कानन पेंडारी जियोलॉजिकल पार्क में एक बाघ की दरकार है. यहां प्रबंधन और सैलानियों को एक खास बाघ का इंतजार है. ये कोई साधारण नहीं बल्कि ग्वालियर चिड़ियाघर की शान माने जाने वाला सफेद बाघ है. जिसे अब ग्वालियर से बिलासपुर भेजा जा रहा है. दोनों जू प्रबंधन में आपसी बातचीत की लंबी प्रक्रिया के बाद एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जानवरों के अदान-प्रदान पर सहमति बनी है.

क्या है एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम?

असल में एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम या पशु विनियम योजना भारत में चिड़ियाघरों द्वारा आपसी तालमेल से जानवरों के अदान प्रदान के लिए बनायी गई व्यवस्था है. जिसके जरिए विलुप्ति से बचाव के लिए दुर्लभ जानवरों को एक चिड़ियाघर से दूसरे में भेजा जाता है. जिससे कि नेचुरल बर्थिंग के जरिए उनकी संख्या में इजाफा कराया जा सके. एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम में जिस चिड़ियाघर में जो जानवर सरप्लस होता है, उसे दिया जाता है.

सफेद बाघ के बदले ग्वालियर को क्या मिलेगा?

अब आप भी जानना चाहते होंगे कि, ग्वालियर से सफेद बाघ जाएगा तो ग्वालियर कौन से जानवर लाए जाएंगे. असल में राजीव गांधी प्राणी उद्यान के क्यूरेटर डॉ गौरव परिहार ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि, "पेंडारी जू में ग्वालियर से सफेद बाघ का शावक भेज जा रहा है. जिसकी आयु दो वर्ष है. इसके बदले कानन पेंडारी से एक देसी भालू, तीन मादा लोमड़ी और दो चौसिंगा जो बारहसिंघा हिरण की तरह एक प्रजाति है, को ग्वालियर जू में लाया जाएगा. जिनके लिए सारी व्यवस्थाएं भी कर ली गई है."

क्या सफेद बाघ की खलेगी कमी?

ग्वालियर से सफेद बाघ की रवानगी की खबर लोगों को मायूस कर सकती है, लेकिन किसी को मायूस होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि राजीव गांधी प्राणी उद्यान में अभी 4 व्हाइट टाइगर (सफेद बाघ) समेत कुल 10 बाघ हैं. हालांकि पहले बाघों की कुल संख्या 11 हुआ करती थी, लेकिन एक बाघ की कुछ समय पहले नरवाइन डिसऑर्डर की वजह से मौत हो गई थी. अब भी एक बाघ जाने से यहां आने वाले सैलानियों को 3 सफेद बाघ समेत 9 बाघ देखने को मिलेंगे.

व्हाइट टाइगर ही देने का फैसला क्यों?

असल में एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत यह नियम है कि, जब किन्हीं चिड़ियाघर में जानवरों का अदान प्रदान होता है, तो बदले में ऐसे जानवर जो एक स्थान पर ज्यादा हो उन्हें दिया जाता है. जिसे दोनों स्थानों पर एक बैलेंस बना रहे. ग्वालियर में बाघों की संख्या अधिक है, क्योंकि साल 2011 से 2022 तक ग्वालियर में 22 बाघों को पैदा कराया गया है. जिन्हें देश भर के अलग-अलग चिड़ियाघरों में भेजा गया है. आज भी यहां बाघों की संख्या ज्यादा है. इसलिए यहां से अन्य जानवरों के बदले बाघ भेजा जा रहा है.

तीनों लोमड़ी मादा क्यों लाई जा रही हैं?

एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत कानन पेंडारी जू से तीन लोमड़ियो को ग्वालियर चिड़ियाघर में लाया जा रहा है. तीनों ही मादा (फीमेल) हैं. इसके पीछे की वजह यहां है कि, ग्वालियर चिड़ियाघर में पहले से लोमड़ी मौजूद है, लेकिन वे नर (मेल) लोमड़ी हैं. ऐसे में नेचुरल बर्थिंग के लिए मादा लोमड़ियों को लाने का निर्णय लिया गया है.

कब और कैसे होगा जानवरों का अदान प्रदान?

मध्य प्रदेश के राजीव गांधी प्राणी उद्यान और कानन पेंडारी जू के बीच जानवरों के अदान प्रदान की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. जू प्रबंधन के अधिकारी का कहना है कि, कागजी कार्रवाई हो चुकी है और अब 22 जून को एक बड़े कंटेनर बॉक्स में सफेद बाघ को यहां से बिलासपुर के लिए रवाना किया जाएगा. इसके बाद उसी कंटेनर में कानन पेंडारी जू से जानवरों को यहां लाया जाएगा.

क्या है चिड़ियाघर संचालन का मुख्य उद्देश्य?

अगर आप भी सोचते हैं कि, देश दुनिया में बनाये गए चिड़ियाघर अलग-अलग तरह के जानवरों को एक जगह रख कर उनकी नुमाइश के जरिए उनके बारे जानकारी और ज्ञान उपलब्ध कराने के साथ आर्थिक विकास के लहज से संचालित होते हैं. तो यह बात पूरी तरह सही नहीं है. असल में चिड़ियाघरों का संचालन सैलानियों नहीं बल्कि जानवरों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.

चिड़ियाघरों के संचालन का मुख्य उद्देश्य किसी फायदे या नुकसान के लिए नहीं होता. मूल रूप से यहां दुर्लभ और विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुकी प्रजातियों के जानवरों को संरक्षित करने के साथ ही वैज्ञानिक तरीके से उनकी ब्रीडिंग कराई जाती है. ब्रीडिंग होने के बाद उन्हें वापस जंगल में छोड़ना होता है.

 

क्यों महत्वपूर्ण है एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम?

ग्वालियर चिड़ियाघर के क्यूरेटर डॉ गौरव परिहार कहते हैं कि "किसी भी चिडियाघर का भविष्य ज्ञानवर्धक के आदान-प्रदान पर निर्भर करता है, क्योंकि आदान प्रदान न होने पर जानवरो में विसंगतियां होने लगती है. उदाहरण के तौर पर ग्वालियर के राजीव गांधी प्राणी उद्यान में बाघों की संख्या ज्यादा है. अगर यहां से बाघ नहीं दिए जाएंगे, तो बाघों की संख्या बढ़ती जाएगी और जब वे आपस में प्रजनन करेंगे तो कही ना कही जेनेटिक दोष आने की संभावना होगी. बाघों की हाइट छोटी हो सकती है. उनकी पूछ छोटी हो सकती है. आंखों से पानी आने की समस्या होगी. कुल मिलाकर शारीरिक विसंगतियां होंगी और वे आगे सर्वाइव नहीं कर पाएंगे.