क्या पाकिस्तान के हाथ से फिसल जाएगा पीओके?

नई दिल्ली। दिल्ली ब्लास्ट की जांच में पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के तार जुड़ने के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं। सूत्रों के अनुसार, फरीदाबाद में पकड़े गए मॉड्यूल के पास से 2900 किलो से ज्यादा विस्फोटक मिलने के बाद जांच ने स्पष्ट किया है कि इस नेटवर्क का सीधा संबंध जैश से था।
इस मामले में रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आतंक की इस जड़ का ठिकाना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) है, और अब भारत के पास इसे दोबारा हासिल करने का रणनीतिक मौका है। इस संबंध में लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी का कहना है, कि भारत को अब ऑपरेशन सिंदूर की तर्ज पर निर्णायक कदम उठाना चाहिए। सर्दियों के मौसम में जब घुसपैठ रुक जाती है, तब सैन्य दबाव बढ़ाकर हाजी पीर और आस-पास के इलाकों में नियंत्रण वापस पाया जा सकता है।
हाजी पीर दर्रे का रणनीतिक महत्व
हाजी पीर दर्रा पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला में स्थित है, जो जम्मू के पुंछ को पीओके के रावलकोट से जोड़ता है। यदि भारत के नियंत्रण में यह दर्रा आता है, तो पुंछ और उरी के बीच की दूरी 282 किमी से घटकर मात्र 56 किमी रह जाएगी। इससे घाटी और जम्मू क्षेत्र के बीच सैन्य और रसद कनेक्टिविटी मजबूत होगी। यहां बताते चलें कि भारत ने 1965 के युद्ध में यह दर्रा जीत लिया था, लेकिन ताशकंद समझौते के तहत पाकिस्तान को वापस कर दिया गया। तब से पाकिस्तान इस दर्रे का इस्तेमाल लगातार आतंकी घुसपैठ के लिए करता आ रहा है।
जैश की महिला कमान और आतंकी साजिश
रिपोर्टों के अनुसार, जैश-ए-मोहम्मद की महिला इकाई अब सक्रिय है, जिसकी कमान मसूद अजहर की बहन सैयदा अजहर के हाथों में है। दिल्ली ब्लास्ट की आरोपी डॉ. शाहीन शाहिदा इसी नेटवर्क की सदस्य थी, जो पिछले दो वर्षों से भारत में विस्फोटक एकत्र कर रही थी।
भारत की नई सैन्य रणनीति
भारतीय सेना ने पिछले कुछ महीनों में पूर्वी और पश्चिमी दोनों मोर्चों पर बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास शुरू किए हैं। इन अभ्यासों में राफेल, तेजस, सुखोई और ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम शामिल हैं। रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह अभ्यास पाकिस्तान के साथ-साथ चीन और बांग्लादेश को भी कड़ा संदेश देने के लिए हैं। इन्हीं लड़ाकू विमानों और मिसाइलों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को तबाह किया था।
पीओके को लेकर बढ़ी कूटनीतिक हलचल
विशेषज्ञों का मानना है कि पीओके को वापस पाना आसान नहीं होगा, क्योंकि ऐसी स्थिति में चीन भी पाकिस्तान के समर्थन में सक्रिय हो सकता है। फिर भी, भारत की हालिया सैन्य तैयारियां और कूटनीतिक रुख यह संकेत देते हैं कि दिल्ली अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक मोड में है।