भोपाल : मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और विज्ञान भारती द्वारा शुक्रवार को एमपीसीएसटी भोपाल के ऑडिटोरियम में एनजीओ के लिए “प्रस्ताव लेखन में समस्या कथन की पहचान” विषय पर एक दिवसीय ओरिएंटेशन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला 12 से 14 सितंबर, 2025 को ग्वालियर में आयोजित होने वाले “टेक फॉर सेवा” कार्यक्रम के अंतर्गत थी। कार्यशाला एनजीओ के लिए प्रस्ताव लेखन में वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही।
एमपीसीएसटी के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि प्रस्ताव स्पष्ट, तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित होना चाहिए। समस्या कथन में उसकी जड़ तक जाना आवश्यक है जिससे निर्धारित उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त किया जा सके। उन्होंने “टेक फॉर सेवा” में अधिक से अधिक एनजीओ से भागीदारी की अपील की, जिससे तकनीक को नया आयाम मिल सके। विज्ञान भारती (मध्य क्षेत्र) के संगठन मंत्री विवस्वान हेबालकर ने कहा कि प्रस्ताव में समस्या को स्पष्ट और सटीक रूप से प्रस्तुत करना जरूरी है। समाज के उत्थान के लिए नवाचारों को अपनाना होगा और “टेक फॉर सेवा” इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एमपीसीएस के कार्यकारी संचालक डॉ. विवेक कटारे ने कहा कि समस्या कथन लिखना एक कला है। इसे जितना स्पष्ट और सटीक लिखा जाएगा, परिणाम उतने ही बेहतर होंगे। कॉपी-पेस्ट से बचकर जमीनी स्तर के कार्यों को आधार बनाना चाहिए। नर्मदा समग्र न्यास के सीईओ कार्तिक सप्रे ने सुझाव दिया कि प्रस्ताव तैयार करते समय गहन शोध और स्पष्ट समस्या कथन जरूरी है।
एमपीसीएसटी के प्रिंसिपल साइंटिस्ट विकास शेंडे ने कहा कि प्रभावी समस्या कथन के लिए गहरी समझ और ठोस शोध की आवश्यकता पर बल दिया। साथ ही, दस्तावेज़ को व्यवस्थित और सटीक रखने तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित फंडिंग स्कीम्स के बारे में जानकारी दी। विशेषज्ञ डॉ. तृप्ती सिंह ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से समस्या कथन को प्रभावी बनाने के तरीकों पर विस्तृत जानकारी दी।
कार्यशाला में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, स्किल डेवलपमेंट और जागरूकता से जुड़े 50 से अधिक एनजीओ के प्रतिनिधि और संस्थापक शामिल हुए। उपस्थित लोगों ने "प्रस्ताव लेखन में समस्या कथन की पहचान" और प्रभावी लेखन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। कार्यशाला में एमपीसीएसटी के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. जी.डी. बैरागी, तकनीकी अधिकारी डॉ. एस.के. गर्ग सहित अन्य विशेषज्ञ मौजूद थे।